चंडीगढ़,17 मई। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लाम्बा व महासचिव सतीश सेठी ने कहा कि प्रदेश सरकार ने पहले तो कोविड-19 की आड़ में नई भर्ती पर रोक लगाकर बेरोजगार युवाओं विरोधी फैसला लिया। परंतु अब भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार दो कदम ओर आगे बढ़ते हुए पहले से चल रही चयन प्रक्रियाओं पर भी रोक लगाना चाहती है। जबकि सरकार ने इसको जारी रखने का आश्वासन दिया था। उन्होंने बताया कि साल 2015 में अलग अलग विभागों में 50& पदों के लिए जारी की गई अधिसूचनाओं, जिन पर पात्र उम्मीदवारों की लिखित परीक्षा भी हो चुकी है। परीक्षा का रिजल्ट भी जारी हो चुका है। परंतु अधिसूचनाओं को इस आधार पर रद्द करने की ओर आगे बढ़ा जा रहा है कि सरकारे ऐसा पहले भी करती रही है।
संघ के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा ने कहा कि स्टाफ सिलेक्शन कमीशन ने 20 मार्च को एडवोकेट जनरल द्वारा दी गई रिपोर्ट मुख्य सचिव हरियाणा सरकार को अपने पत्र दिनाक 1& मई 2020 द्वारा भेजकर 50& पदों की अधिसूचना को वापिस लेने का प्रस्ताव भेजा है। इनमे एक्साइज इंस्पेक्टर के &5 पद, टेक्सेशन इंस्पेक्टर 171, सोशल एजुकेशन एन्ड पंचायत ऑफीसर के 61, फूड एंड सप्लाई इंस्पेक्टर &8, जिला परिषद में क्लर्क 26, साइकलिंग जूनियर कोच 12 व फोरेस्टर के 112 पद शामिल है। कमीशन ने इन पदों की अधिसूचना को वापिस लेने के लिए हास्यस्पद तर्क दिए गए है कि ऐसा पहले भी होता रहा है। सरकार ने चयन के मापदंड बदल दिए है। चयन प्रक्रियाओ पर मामले माननीय न्यायालय के विचाराधीन है। सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा का स्पष्ट कहना है कि अतिरिक्त पदों की मांग को वेटिंग लिस्ट से पूरा किया जा सकता है या दोबारा चयन प्रक्रिया चलाई जा सकती है। चयन मापदंड को बदलने पर व चयन प्रक्रिया में कोई मामला कोर्ट के विचाराधीन है तो इसके लिए सरकार जिम्मेवार है। अधिसूचनाओं को रद्द कर उम्मीदवारों को सजा क्यो दी जा रही है। वास्तव में सजा नियम बनाने वालों व चयनकर्ताओं को मिलनी चाहिए।