चंडीगढ़, 14 मई। पानीपत पुलिस के क्राइम ब्रांच विंग ने बुधवार की रात चंडीगढ़ के सैक्टर तीन स्थित एमएलए हॉस्टल में छापा मारकर हरियाणा के पूर्व विधायक को शराब चोरी के आरोप में गिरफ्तार किया है।
पानीपत आबकारी विभाग ने 22 सितंबर 2016 को एक फर्म को दिए गए एल-वन लाईसेंस को रद्द कर दिया था। विभाग द्वारा समालखा स्थित गोदाम को सील कर दिया गया। इस सील गोदाम से अप्रैल 2018 में 4500 पेटियां शराब चोरी हो गई। इस मामले में समालखा पुलिस थाने में पहले से केस दर्ज है। इस बीच लॉकडाउन के दौरान भी हालही में इसी गोदाम की सील तोडक़र शराब चोरी हुई है।
चंडीगढ़ के एमएलए हॉस्टल परिसर में पुलिस ने की कार्रवाई
बताया जाता है कि सतविंद्र राणा बुधवार को चंडीगढ़ में ही थे। यहां पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात करने के बाद जैसे ही घर वापसी के लिए रवाना होने लगे तो पुलिस ने उन्हें दबोच लिया। पानीपत क्राइम ब्रांच के इंस्पैक्टर प्रवीण कुमार के नेतृत्व में पुलिस की एक टीम देर रात चंडीगढ़ में पहुंच गई थी। पानीपत पुलिस ने चंडीगढ़ के सैक्टर-तीन थाना प्रभारी जसपाल सिंह के संपर्क किया। पानीपत पुलिस की टीम ने चंडीगढ़ पुलिस को सूचित करके पूर्व विधायक को हिरासत में ले लिया। कागजी कार्रवाई पूरी करने के बाद पुलिस टीम सतविंदर राणा को लेकर रवाना हो गई। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि पूर्व एमएलए सतविंदर राणा को पहले चेक बाउंस के मामले में कोर्ट में उपस्थित न होने के कारण भगोड़ा घोषित किया जा चुका है। पंचकूला की जिला अदालत ने 30 अक्टूबर 2018 को चंडीगढ़ निवासी संदीप सेठी को दिए गए 40 लाख रुपए के चार चेक बाउंस होने पर भगोड़ा घोषित किया था। बहरहाल पानीपत पुलिस मामले की जांच कर रही है।
सतविंदर राणा दो बार विधायक रह चुके हैं। पूर्व विधायक सतविंदर राणा पहले कांग्रेस पार्टी में थे, जिसके बाद अब उन्होंने जननायक जनता पार्टी का दामन थाम लिया था। वर्ष 1996 और 2005 में कैथल के राजौंद हलका से विधायक बने थे। सतविंदर राणा मूल रूप से कैथल के गांव राजौंद के रहने वाले हैं। पिछले परिसीमन में राजौंद कलायत हल्का में शामिल हो चुका है। राणा वर्ष 2007 से 2014 तक कांग्रेस में प्रदेश महासचिव रहे है। 2014 में जब उन्हें कांग्रेस ने टिकट नहीं दिया तो वह पार्टी से बागी हो गए और बसपा की टिकट पर कालका से चुनाव लड़ा लेकिन हार गए। बागी होने के कारण कांग्रेस ने उन्हें पार्टी से बाहर कर दिया। इसके बाद उनका झुकाव इनेलो की तरफ भी रहा। इस बीच दुष्यंत चौटाला के नेतृत्व वाली जननायक जनता पार्टी के अस्तित्व में आने के बाद सतविंदर राणा जजपा में शामिल हो गए और पार्टी ने उन्हें कलायत से चुनाव मैदान में उतार दिया। सतविंदर राणा को करीब 37 हजार वोट मिले लेकिन वह हार गए।