चंडीगढ़, 14 मई। हरियाणा से जहां अब तक एक लाख के करीब प्रवासी मजदूर पलायन कर चुके हैं वहीं इन मजदूरों के साथ पलायन करने वाले छोटे बच्चों ने सरकार की मुसीबत बढ़ा दी है। प्रवासियों के पलायन से सरकार को सरकारी स्कूलों में ड्राप आउट रेट बढ़ाने की चिंता सताने लगी है। जिसके चलते जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश जारी किए गए हैं कि वह अपने-अपने क्षेत्र में अभियान चलाकर ऐसे परिवारों को जाने से रोके जिनके बच्चे प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे हैं। हरियाणा में अब तक एक लाख से अधिक प्रवासी मजदूर परिवार समेत अपने मूल राज्यों को वापस जा चुके हैं। इन मजदूरों के साथ इनके बच्चे भी जा रहे हैं। ऐसे में निकट भविष्य में शुरू होने वाले शिक्षा सत्र के दौरान सरकारी स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति को लेकर संकट के बादल मंडराने लगे हैं।
प्रदेश के सरकारी स्कूलों में ज्यादातर दलित एवं पिछड़ा वर्ग के बच्चे तथा प्रवासी मजदूरों, ईंट-भट्टे पर काम करने वाले मजदूरों के बच्चे ही पढ़ते हैं। सामान्य श्रेणी के बच्चों की पहली पसंद निजी एवं मॉडल स्कूल हैं। शिक्षा निदेशालय ने हरियाणा के सभी जिला शिक्षा अधिकारियों को एक पत्र जारी करके कहा है कि जिन मजदूरों के साथ बच्चे भी पलायन कर रहे हैं उन्हें तुरंत प्रभाव से रोका जाए। पत्र में जिला शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि वह अपने-अपने क्षेत्र में अध्यापक-अभिभावक संगठनों के साथ बैठक करें। संबंधित क्षेत्र के जनप्रतिनिधियों के माध्यम से ऐसे लोगों का पलायन रोका जाए। इसके अलावा शिक्षा विभाग ने ऑनलाइन दाखिले के दौरान किसी प्रकार के दस्तावेजों से छूट देते हुए कहा कि अगर किसी बच्चे के पास आधार कार्ड आदि नहीं है तो लॉकडाउन तक आधारकार्ड की अनिवार्यता को समाप्त किया जाए।