चंडीगढ़ , 13 मई। हरियाणा में लॉकडाउन के दौरान हुए शराब घोटाले की परतें अब धीरे-धीरे खुलने लगी हैं। जिस समय हरियाणा में सबकुछ बंद था उस समय अगर कोई काम कर रहा था तो वह था हरियाणा का आबकारी विभाग। सरकार का पूरा ध्यान कोरोना की लड़ाई और कोरोना से लड़ रहे विभागों के कर्मचारियों की तरफ था। जिसका फायदा उठाकर आबकारी व कराधान विभाग के अधिकारियों ने सरकार की आंखों में धूल झौंकते हुए कई ऐसे कार्य कर डाले जो नियमों को विरूद्ध थे। दिलचस्प बात यह है कि प्रदेश में लॉकडाउन के दौरान शराब घोटाला हो गया और सरकार ने एसआईटी बनाकर जांच भी शुरू करवा दी है लेकिन आबकारी एवं कराधान मंत्री दुष्यंत चौटाला अभी तक इस मामले में खुलकर कुछ नहीं बोले हैं।
25 मार्च की शाम सरकार ने शराब ठेके बंद करने का ऐलान कर दिया। इसके बावजूद आबकारी विभाग के अधिकारियों व कर्मचारियों एकजुटता के साथ काम किया। हरियाणा में 31 मार्च तक पुराने ठेकेदारों का कार्यकाल था। जिसके चलते 27 मार्च से आबकारी विभाग और ठेकेदार आपस में मिल गए और शराब का खेल शुरू हो गया।
अंतिम चार दिनों में आबकारी विभाग के पास एक्साइज पास के लिए 129 आवेदन आए। जिनमें से 96 को मंजूर कर लिया गया और 15 खारिज करते हुए 18 को पैंडिंग कर दिया गया। आबकारी विभाग के रिकार्ड अनुसार इन्हीं चार दिनों के भीतर एक्साइज परमिट के लिए कुल 71 आवेदन आए जिनमें से 23 को मंजूर कर दिया गया और छह को खारिज करके 42 को पेंडिंग छोड़ दिया गया। ऐसे में सवाल यह पैदा होता है कि हरियाणा समेत पूरे देश में जब सबकुछ बंद था और मुख्य सचिव ने कर्मचारियों को वर्क फ्राम होम के निर्देश दे रखे थे तो आबकारी विभाग ने कैसे एक्साइज परमिट व पास जारी किए।