चंडीगढ़, 11 मई । हरियाणा सरकार के धान बुआई पर पाबंदी लगाने के फैसले का विरोध जाहिर करते हुए पूर्व मुख्यमंत्री और नेता विपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने इस फैसले को फौरन वापस लेने की मांग की है। उन्होंने कहा कि भूजल की चिंता करना ज़रूरी है लेकिन इसके लिए सरकार को अपनी तरफ से भी कदम उठाने चाहिए। उसे हरियाणा की सबसे बड़ी दादूपुर नलवी वॉटर रीचार्ज कैनाल परियोजना को फिर से शुरू करना चाहिए।एसवाईएल के पानी को लाने के लिए कोशिशें करनी चाहिए। हांसी-बुटाना नहर में पानी लाने की योजना बनानी चाहिए। झील खुदवाने से लेकर ड्रिप सिस्टम से सिंचाई पर ज़ोर देना चाहिए। ये सब करने की बजाए, ऐन बुआई से पहले कई ब्लॉक में धान पर पाबंदी लगाना कतई गलत है। हुड्डा ने कहा कि इससे पहले भी सरकार ने ‘जल ही जीवन है’ योजना के तहत जो 2 हज़ार रुपये प्रोत्साहन राशि और बीमा का वादा किया था, वो भी पूरा नहीं किया। किसी किसान को न प्रोत्साहन राशि मिली और न ही बीमा का मुआवजा मिला है। हुड्डा ने कहा कि महज सात हजार रुपए प्रति ऐकड़ के ऐलान से किसान धान छोडऩे को राजी नहीं है। किसान को धान से ज्यादा मुनाफे वाली वैकल्पिक फसलों के बारे में जानकारी देनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार का सारा जोर गेहूं और सरसों की खरीद, मंडियों से उठान और फसल की पेमेंट पर होना चाहिए। हरियाणा ने 130 लाख मीट्रिक टन के अनुमानित उत्पादन में से सिर्फ 57 लाख मीट्रिक टन गेहूं ही खऱीदी है। उठान सिर्फ 29 लाख मीट्रिक टन का हुआ है और ज्यादातर किसानों की पेमेंट पेंडिंग है। प्रदेश पर बढ़ते कर्ज़ के बारे में पूर्व मुख्यमंत्री ने चिंता जाहिर करते हुए कहा कि आज बीजेपी सरकार में प्रदेश पर 2 लाख करोड़ का कर्ज़ हो चुका है लेकिन सरकार अब भी कह रही है कि हमें और कर्ज़ लेने की ज़रूरत है। हुड्डा ने कहा कि अगर सरकार कर्ज़ ले रही है तो उससे गऱीब, किसान, मजदूर, दिहाड़ीदार, दुकानदार, छोटे व्यापारी और मध्यम वर्ग को आर्थिक राहत देनी चाहिए।