नई दिल्ली, 9 मई । देश में कोरोना वायरस महामारी का कहर कम होने का नाम नहीं ले रहा है. देश में 56 हजार से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं। कोरोना वायरस से निपटने के लिए हर मोर्चे पर तैयारी की जा रही है। वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) ने कोविड-19 के खिलाफ लैब में एंटीबॉडी तैयार करने का फैसला किया है। कोरोना की स्वदेशी वैक्सीन विकसित करने के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) और भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड साथ काम करेंगे।
काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च ने इस प्रोजेक्ट को मंजूरी दी है। सीएसआईआर ने न्यू मिलेनियम इंडियन टेक्नोलॉजी लीडरशिप इनीशिएटिव (एनएमआईटीएलआई) फ्लैगशिप प्रोग्राम के तहत इसे मंजूरी दी है। वैक्सीन और बायो-थेरेप्यूटिक्स की निर्माता 'भारत बायोटेक' इसका नेतृत्व कर रही है। ये कंपनी 60 से अधिक देशों में अपने प्रोडक्ट की सप्लाई करती है। भारत बायोटेक की तरफ से जारी बयान में कहा गया कि इस प्रोजेक्ट के तहत लैब में मोनोक्लोनल एंटीबॉडी तैयार की जाएंगी, जो कोरोना संक्रमित मरीजों के उपचार में बेहद कारगर साबित होंगी। इसके तहत स्वस्थ हो चुके कोरोना संक्रमित मरीजों से एंटीबॉडी ली जाएंगी। आमतौर पर एक सप्ताह के बाद स्वस्थ हो चुके व्यक्तित के रक्त में ये एंटीबॉडी बनती हैं।
बयान के मुताबिक, उत्तम गुणवत्ता की एंटीबॉडी लेकर प्रयोगशाला में उनके उनके जीन के क्लोन तैयार किए जाएंगे। इस प्रकार ये एंटीबॉडी इस बीमारी से लड़ने के लिए एक बेहतर दवा के रूप में कार्य करेंगी। मूलत: यह उपचार प्लाज्मा थैरेपी से दो कदम आगे की प्रक्रिया है। एक बार सफल होने पर लैब में बड़े पैमाने पर एंटीबॉडी तैयार की जा सकती हैं। जबकि प्लाज्मा थैरेपी में प्लाज्मा की ज्यादा मात्रा में उपलब्धता ही मुश्किल है।