चंडीगढ़, 8 मई । सर्व कर्मचारी संघ हरियाणा के बैनर तले शुक्रवार को पूरे प्रदेश में हरियाणा के विभिन्न विभागों के कर्मचारियों ने डीए बढ़ोतरी व एलटीसी पर लगाई गई रोक के खिलाफ प्रदर्शन किया। सभी विभागों, बोर्डो, निगमों, नगर निगमों, परिषदों, पालिकाओं, विश्वविद्यालयों के कर्मचारियों ने शारीरिक दूरी का कड़ाई से पालन करते हुए मास्क लगाकर आंशिक संख्या बल के साथ विरोध प्रर्दशन किए गए। प्रदर्शनों के बाद मुख्यमंत्री को संबोधित 8 सूत्री मांगों के ज्ञापन उपायुक्तों को सौंपे गए। कर्मचारी इस बात को लेकर ज्यादा खफा हैं कि सरकार ने इस कटौती से ढेड़ साल के भीतर रिटायर होने वाले कर्मचारियों और पेंशनर्स तक को नही बक्शा। प्रदर्शनों में कोरोना योद्धाओं की सुरक्षा को लेकर बरती जा रही लापरवाही का आरोप लगाते हुए फ्रंटलाइन योद्धाओं सहित आवश्यक सेवाओं को सुचारू रूप से चलाने वाले और कोविड-19 में अलग अलग प्रकार के सर्वे में शामिल सभी कर्मचारियों को डब्ल्यूएचओ व स्वास्थ्य मंत्रालय द्वारा अनुमोदित सुरक्षा के सभी उपकरण मुहैया कराने की मांग की गई। संघ के प्रदेशाध्यक्ष सुभाष लांबा व महासचिव सतीश सेठी ने लाकडाउन में नए प्रयोगों के साथ शारीरिक दूरी का कड़ाई से पालन करते हुए आंशिक संख्या के साथ शुक्रवार को सभी विभागों में किए गए प्रदर्शनों की सफलता का दावा किया है। लांबा ने सरकार से सवाल किया कि सारी कुर्बानी कर्मचारी ही क्यों दे। उन्होंने कहा कि कर्मचारी ही कोविड-19 के खिलाफ अपनी जान जोखिम में डालकर जंग भी कर्मचारी लड़ेंगे, रिलीफ फंड में अपना वेतन कटवा कर 100 करोड़ से ज्यादा दान भी कर्मचारी देंगे और इसके बावजूद सरकार ढेड़ साल के लिए महंगाई भत्ता व एक साल के लिए एलटीसी पर रोक लगाकर 3 से 6 लाख का आर्थिक नुकसान भी कर्मचारियों का ही करेंगी। उन्होंने कहा कि ऐसा देश के फ्रंटलाइन योद्धा कहे जाने वाले सैनिक, अर्ध सैनिक बलों के जवान, पुलिस कर्मचारी, मेडिकल व पैरा मेडिकल स्टाफ और आवश्यक सेवाओं में तैनात तथा कोविड-19 में दिन-रात सर्वे का काम करने वाले कर्मचारी क्यों सहन करें।
उन्होंने बताया कि एक तरफ सरकार का कोरोना योद्धाओं के प्रति दुश्मनों जैसा व्यवहार है और दूसरी तरफ रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने देश के सबसे बड़े 50 पूंजीपतियों के 68607 करोड़ सरकारी बैंकों के लोन को माफ कर जले पर नमक छिडक़ने का काम कर रही है। केंद्र सरकार पीएम केयर्स फंड व जीएसटी की राशि से राज्यों का हिस्सा ना मालूम क्यों नहीं दे रही है ? उन्होंने बताया कि डीए बंद करने बाद जीपीएफ की ब्याज दर में कटौती कर कर्मचारियों पर एक और आर्थिक हमला किया है। उन्होंने बताया कि आवश्यकता पूरी न होने के कारण ढेड महीने बाद हजारों की संख्या में अतिथि मजदूर अपने घरों को जा रहे, जिसकी अनुमति सरकार ने ही दी है। जब 4 घंटे के अंदर लाकडउन किया गया तो यही मजदूर पैदल ही अपने घरों को जा रहे थे, तो डंडे बरसाए जा रहे हैं। उन्होंने सभी मजदूरों को 7500 रुपए मासिक और राशन देने की मांग की। उन्होंने कहा कि सरकार ऐसा करने की बजाय कारपोरेट्स को आर्थिक पैकेज देने के लिए देश में माहौल बनाया जा रहा है।