चंडीगढ़, 09 अक्तूबर ( न्यूज़ अपडेट इंडिया ) किसानों को उद्यम प्रशिक्षण देने के अलावा युवाओं को डेयरी व्यवसाय के साथ जुड़े विभिंन पहलुओं की जानकारी देने के लिए बनाए विशेष प्रशिक्षण प्रोग्राम के अंतर्गत सूबे के डेयरी प्रशिक्षण और प्रसार केन्द्रों में 23 अक्तूबर से डेयरी उद्यम प्रशिक्षण प्रोग्राम करवाया जा रहा है।
इस संबंधी विस्तार में बताते पंजाब डेयरी विकास बोर्ड के डायरेक्टर इन्द्रजीत सिंह ने बताया कि यह प्रशिक्षण प्रोग्राम नस्ल सुधार, दूध से अन्य वस्तुएँ तैयार करने, खाद्य प्रबंध और दुधारू पशुओं की संरक्षण पर आधारित होगा। इस प्रोग्राम में गुरू अंगद देव वेटरनरी साईसिज़ यूनिवर्सिटी लुधियाना, डेयरी अनुसंधान संस्था करनाल और विभाग के विशेषज्ञों द्वारा प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस दौरान व्यावहारिक प्रशिक्षण प्रगतिशील किसानों के फार्मों पर करवाई जायेगी और किसानों और प्रशिक्षित नौजवानों को साहित्य मु ़त बँाटा जायेगा जिससे वह डेयरी और दूध की प्रोसैसिंग में उभरते रूझानों बारे उचित जानकारी हासिल कर सकें।
इस दौरान डायरेक्टर ने बताया कि अगले बैच की छह ह ़तों की डेयरी उद्यम प्रशिक्षण डेयरी प्रशिक्षण केंद्र, बीजा (लुधियाना), चतामली (रोपड़), गिल (मोगा), अबुल खुराना (श्री मुक्तसर साहिब), सरदूलगढ़ (मानसा) फगवाड़ा (कपूरथला) और वेरका (अमृतसर) में शुरू होगी।
डायरेक्टर ने बताया कि शिक्षार्थियों के चयन के लिए 13 अक्तूबर को प्रात:काल 10.00 बजे उक्त प्रशिक्षण केन्द्रों पर कौंसलिंग होगी। कम से-कम 10वीं के पास नौजवान लडक़े -लड़कियाँ जिन की उम्र 18 से 45 साल के मध्य हो और कम से -कम पाँच दुधारू पशुओं का अपना डेयरी फार्म हो, यह प्रशिक्षण हासिल कर सकते हैं। प्रशिक्षण के लिए प्रॉस्पैक्टस जिस की कीमत 100 /- रुपए है, स बन्धित जि़लो के डिप्टी डायरैक्टर डेयरी /डेयरी विकास अधिकारी और सभी प्रशिक्षण केन्द्रों पर उपलब्ध हैं। प्रशिक्षण स बन्धित और ज्यादा जानकारी डेयरी विकास बोर्ड के मु य कार्यालय के टैलिफ़ोन नं. 0172 -5027285 और 2217020 पर हासिल की जा सकती है।
जि़क्रयोग्य है कि किसानी व्यवसाय के साथ जुड़े लोगों की दैनिक घरेलू ज़रूरतों को पूरा करने के लिए बंधवीं आमदन बहुत ज़रूरी होती है। मौजूदा फ़सल प्रणाली 4-6महीनों बाद आमदन देती है, जिससे किसानों को रोज़मर्रा के पारिवारिक और सामाजिक व्यय पूरे करने के लिए बैंकों या साहूकारों से कजऱ् लेना पड़ता है जो कि ब्याज सहित समय पर लौटाना असंभव हो जाता है और किसानों पर कजऱ्े का बोझ पड़ता है। पशुपालन का व्यवसाय एक ऐसा धंधा है, जिस में रोज़मर्रा की या 10 दिनों बाद दूध की कीमत मिलनी यकीनी है। पंजाब में दूध के मंडीकरण की कोई समस्या नहीं है। इस लिए किसानों को डेयरी धंधों को अपनाना चाहिए। बाकी धंधों की तरह यह व्यवसाय भी वैज्ञानिक बनता जा रहा है जिससे इस की वैज्ञानिक प्रशिक्षण बहुत ज़रूरी है।