नई दिल्ली,10 दिसंबर ( न्यूज़ अपडेट इंडिया ) । इलाहाबाद हाई कोर्ट में जमानत अर्जी के लंबे समय तक लंबित रहने और डेढ़ साल तक सुनवाई का नंबर न आने पर सुप्रीम कोर्ट ने गहरी नाराजगी जताई है। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को तत्काल जमानत अर्जी पर सुनवाई कर दो सप्ताह में निपटारा करने का आदेश दिया है।
यह आदेश न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल व न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ ने अभियुक्त संजय दुबे के वकील ऋषि मल्होत्रा की दलीलें सुनने के बाद दिए। इस मामले में संजय दुबे को धोखाधड़ी के जुर्म में निचली अदालत से चार साल की सजा हुई है। संजय ने सजा के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में अपील दाखिल की थी। सजा निलंबित करने की मांग करते हुए उन्होंने जमानत अर्जी दी थी।
उसकी अपील का डेढ़ साल से हाई कोर्ट में निपटारा नहीं हुआ है। अंत में उसने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दे जमानत याचिका पर जल्द सुनवाई की मांग की। बहस के दौरान वकील ऋषि मल्होत्रा ने कोर्ट को बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने 9 मार्च 2017 को हुसैन बनाम भारत सरकार मामले में अनुच्छेद 21 (जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार) की महत्ता बताते हुए सभी उच्च न्यायालयों को आदेश दिया था कि जमानत अर्जियों पर एक महीने के भीतर निपटारा होना चाहिए। कोर्ट के इस आदेश के बावजूद उनके मुवक्किल की जमानत अर्जी पिछले डेढ़ साल से हाई कोर्ट में लंबित है।
उनके मुवक्किल को कुल चार साल की सजा हुई है और वह अब तक दो साल से ज्यादा की सजा काट चुका है। ऐसे में अपील के दौरान अगर उसे कोर्ट ने जमानत नहीं दी तो उसकी सजा पूरी हो जाएगी और अपील बेमतलब हो जाएगी। पीठ ने जमानत अर्जी के डेढ़ साल से लंबित रहने पर नाराजगी जताई। कोर्ट ने कहा कि अपील के मामलों में तो जमानत अर्जी पर सुनवाई के लिए एक महीने के समय की भी जरूरत नहीं होती, क्योंकि रिकार्ड कोर्ट के सामने होता है। अंडर ट्रायल कैदियों के मामले में केस डायरी आदि मंगानी पड़ती है।
इसके बाद पीठ ने हाई कोर्ट में लंबे समय तक जमानत अर्जियां लंबित रहने पर नाराजगी जताते हुए कहा कि उनके आदेश की ही पालना नहीं हो रही है, जबकि अपील के साथ दाखिल जमानत अर्जी पर सुनवाई के लिए तो एक महीने के समय की भी जरूरत नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट को अभियुक्त की जमानत अर्जी पर तत्काल सुनवाई का आदेश दिया। पीठ ने हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध किया है कि वह इस मामले को देखें और उचित पीठ को सौंपे ताकि जमानत अर्जी का दो सप्ताह के भीतर निपटारा हो। कोर्ट ने आदेश की प्रति हाई कोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल को भेजने का आदेश दिया ताकि वे इस मामले को मुख्य न्यायाधीश के सामने पेश कर सकें।