नई दिल्ली,07 दिसंबर ( न्यूज़ अपडेट इंडिया ) । राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने यरुशलम को इजरायल की राजधानी घोषित कर पूरी दुनिया में एक तरह से तहलका मचा दिया है। एक तरफ जहां खाड़ी के अरब देशों ने इस फैसले से पूरे क्षेत्र को आग के हवाले करने की संज्ञा दी है तो दूसरी तरफ अमेरिका के पारंपरिक यूरोपीय मित्र देशों के साथ रुस और ईरान ने भी इस फैसले को स्तब्ध करने वाला और बेहद गंभीर नतीजे वाला बताया है। इन सभी देशों के साथ भारत ने इस मुद्दे पर बेहद सधी हुई प्रतिक्रिया दी है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रवीश कुमार ने कहा है कि फिलिस्तीन को लेकर वह स्वतंत्र नीति अपनाता है और किसी तीसरे देश के फैसले से इस बारे में वह अपने विचार या रुचि नहीं बदल सकता।
भारत ने अपनी प्रतिक्रिया में न त इजरायल का जिक्र किया है और न ही यरुशलम का। साफ है कि बदले वैश्विक माहौल में अपने हितों को देखते हुए भारत भी कूटनीतिक बदलाव के लिए तैयार है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारत के कूटनीतिक व रणनीतिक रिश्ते अमेरिका के साथ ही इजरायल के साथ भी प्रगाढ़ हो रहे है। कुछ महीने पहले ही पीएम नरेंद्र मोदी इजरायल जाने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री बने हैं।
इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतान्यहू अगले वर्ष के शुरुआत में भारत आने की तैयारी में जुटे हैं। इजरायल न सिर्फ आज की तारीख में सैन्य साजो समान आपूर्ति करने में भारत का प्रमुख साझेदार देश बन गया है बल्कि आतंकवाद के मुद्दे पर वह भारत की हर बात का समर्थन करने वाला देश भी है। दूसरी तरफ अमेरिका और भारत के रिश्तों की दायरा भी बेहद मजबूत होते जा रहा है। अमेरिका भारत को अपना सबसे अहम रणनीतिक सहयोगी देश बता रहा है और चीन के मुकाबले हर तरह की मदद देने की बात खुलेआम कर रहा है।