अंबाला,07 दिसंबर ( न्यूज़ अपडेट इंडिया ) : सेना नगर स्थित हर्बल पार्क को लेकर वन विभाग व रक्षा संपदा कार्यालय के बीच साल 2014 में करार खत्म हो जाने के बाद पार्क उजाड़ हो चुका है। हालांकि, अब यह दोबारा से कभी विकसित हो पाएगा या नहीं इसको लेकर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। इस पार्क की जमीन को हासिल करने को लेकर सेना व एयरफोर्स इस जमीन पर अपनी अपनी दावेदारी ठोंक दी है। जिसको लेकर सेना व रक्षा मंत्रालय को अपना मसौदा भिजवा चुके हैं। हालांकि, अब यह रक्षा मंत्रालय ही तय करेगा कि यह जमीन इन दावेदारों में से किसी को मिलेगी या फिर संपदा कार्यालय के पास ही रहेगी।
जानकारी के मुताबिक करीब 12 एकड़ में बने इस पार्क को रक्षा संपदा कार्यालय व वन विभाग ने साल 2008 में करार के तहत विकसित किया था। इस पार्क का उद्घाटन 28 फरवरी 2008 को तत्कालीन पर्यावरण, खेल एवं पयर्टन मंत्री किरण चौधरी ने किया था। साल 2014 में यह करार खत्म हो गया। हालांकि, वन विभाग इस करार को आगे बढ़ाना चाहता था। अब देखरेख के अभाव में यह पार्क उजाड़ है। चूंकि, पार्क एयरफोर्स की दीवार से सटा है तो एयरफोर्स प्रशासन इस जमीन को हासिल करना चाहता है। सेना क्षेत्र सेना नगर से शुरू होता है तो सेना भी इस जमीन को हासिल करना चाहती है। दोनों की दावेदारी रक्षा मंत्रालय के पास होने से रक्षा संपदा कार्यालय इस पार्क को विकसित करने को लेकर कदम नहीं उठा रहा है। इस पर फैसला शीघ्र आने की उम्मीद है।
लाखों खर्च कर लगाए संसाधन हुए बेकार
पार्क में बच्चों के झूलों से लेकर बैठने के झोपड़ी नुमा शेड, शतुरमुर्ग, चीता, जेबरा आदि पशु-पक्षियों के कृत्रिम ढांचे, बीच से निकलती नहर और अन्य कई सारे संसाधन अब एक एक कर खत्म बेकार हो चुके हैं। सेना संपदा कार्यालय और वन विभाग के बीच करार आगे नहीं बढ़ने से लाखों रुपया बर्बाद हुआ है।
सेना व एयरफोर्स ने मांगी है जमीन
वहीं, इस मामले में सेना संपदा अधिकारी ममता कांसे ने बताया कि हर्बल पार्क की जमीन को लेकर सेना एवं एयरफोर्स ने रक्षा मंत्रालय से जमीन मांगी है। अभी यह तय नहीं हुआ कि यह जमीन किसे मिलेगी या फिर नहीं मिलेगी। हालांकि, इस पर निर्णय जल्द आने की संभावना है।