जालंधर,03 दिसंबर ( न्यूज़ अपडेट इंडिया ) पंजाब में चीफ पार्लियामेंट्री सेक्रेटरी का ओहदा खत्म करवाने वाले पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट के वकील एडवोकेट हरि चंद की किताब जनहित- नवां संघर्ष नित शनिवार को प्रेस क्लब में रिलीज की गई। वे 12 साल में करीब 400 जनहित याचिकाएं दायर कर समाज सेवा कर चुके हैं।
एड. हरि चंद ने बताया कि उनकी ये किताब जनहित के क्षेत्र में काम करते हुए उनके तजुर्बो, तकलीफों, सफलताओं और नाकमियों के बारे में हैं। उन्होंने बताया कि यह किताब उन्होंने करीब डेढ़ साल पहले लिखनी शुरू की थी। उन्होंने कहा-मैं लघु कथाएं लिखकर फेसबुक पर डालता था। एक दोस्त ने मुझे इन्हें किताब के रूप में सामने लाने की सलाह दी।
इस मौके पर पंजाबी जागृति मंच के जनरल सचिव सतनाम माणक ने कहा कि हमें अपनी जिंदगी के तजुर्बे को कलमबद्ध करना चाहिए। आने वाले पीढ़ी को इससे ही शिक्षा मिलेगी। परविंदर सिंह कितना ने कहा कि एड. हरि चंद ने अपनी जनहित याचिकाओं के जरिए बहुत से लोगों की मदद की है। मंच संचालन दीपक बाली ने किया।
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चर्चित जनहित याचिकाएं
1. एसिड अटैक पीड़िताओं को 8000 रुपये पेंशन दिलाई
साल 2012 में एसिड अटैक विक्टिम पॉलिसी के लिए जनहित याचिका दायर की। इसके तहत पीड़ित महिला को सारी उम्र के लिए हरेक महीने आठ हजार रुपए हरेक महीने पेंशन देना। साल 2015 में ये फाइनल हुई। पूरे देश में केवल पंजाब व हरियाणा में ही ये पॉलिसी है।
2. पंजाब में सीपीएस का ओहदा खत्म करवाया
साल 2015 में एडवोकेट जगमोहन सिंह भट्टी के साथ मिलकर जनहित याचिका दायर की कि पंजाब में चीफ पार्लियामेंट सेक्रेटरी ओहदे की जरूरत ही नहंी है। 100 विधायकों पर 15 मंत्री होने चाहिए लेकिन यहां 20 सीपीएस भी हैं। 12 अगस्त, 2016 को सभी सीपीएस के पद हटा दिए गए।
3. चार पुलिसवालों को उम्रकैद दिलवाई
पंजाब पुलिस में दो डीएसपी और चार इंस्पेक्टर को कत्ल केस में उम्रकैद सुनाई गई। बाद में वे जमानत पर रिहा हो गए और रिहा होने के बाद भी सरकारी नौकरी कर रहे थे। एड. हरि चंद की याचिका के बाद उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ा।
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प्रोफाइल
एड. हरि चंद 1993 में चंडीगढ़ में प्रेक्टिस कर रहे हैं। मूल रूप से फाजिल्का रहने वाले 66 वर्षीय हरि चंद लगातार 12 साल से जनहित याचिकाएं डालकर समाज की सेवा कर रहे हैं। साल 2014 में अपनी पहली गीतों की किताब जंग रिलीज की। इसके बाद शहीद भगत सिंह, शहीद ऊधम सिंह, शहीद करतार सिंह सराभा व मदन लाल ढींगरा पर आधारित किताब रिलीज की।
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अपनी किताबें मुफ्त में पढ़ने के लिए देते हैं
एड. हरि चंद ने बताया कि चार साल पहले पंजाबी के अश्लील गीतों से दुखी होकर उन्होंने सोचा कि ऐसा साहित्य दिया जाए जो युवाओं को सही दिशा प्रदान करें। मन में था कि किताब छपवा लूंगा फिर लगा उसे पढ़ेगा कौन। इसलिए मैं अपनी किताबों को ऑफिस के टेबल पर ही रख लेता हूं और जो आता हूं उसे फ्री में पढ़ने के लिए दे देता हूं।